शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

बहुत ही सुंदर कहानी आपके आंखों से आँसू निकल जाएंगे

आज से कुछ 18 साल पहले मुझे अपने पैतृक घर  में  एक तथाकथित स्वार्थी और दिखावे की पूजा में बुलाया गया,तब मैं हरिद्वार में शिक्षारत था,मुझे यह मालूम न था कि एक बकरे की बलि भी होगी।   बकरी के काले मनमोहक छोटे बच्चे को खूंटे से बधा देखकर कुछ शक तो हुआ,पर सोच शायद मेरा वहम हो; तभी मेरी बिरादरी के चाचा जो मेरी फितरत से वाक़िफ़ थे, ने अपने शराबी साथी को आंख मारकर इशारा किया कि मुझे व्यस्त रखे और बाहर को ले जाए, मैं दरवाजे की निवाड़ के छोटे छेद से झांककर कुछ समझता कि, एक आवाज़ के साथ कर्कश स्वर की इतिश्री मेरे कानों को झकझोर गयी,मेरी आँखों मे गुस्सा और समंदर मचल रहा था। बिना किसी दोष के एक माँ का छोटा बेटा कुछ निर्लज्जो और नंगों के पेट की हवश का चारा होने को बेसुध होकर जमीन पर तड़पकर अंतिम सांसे लेने लगा।मानो बच्चे का कोमल शरीर इंसान की इस उदारता व महानता के लिए धन्यवाद ज्ञापित कर रहा हो। मैने एकाएक पेशाब का बहाना किया, पहली बार पिताजी की पेंट से 150 रुपये चुराए और पिछले दरवाजे से बिना किसी को बताए सीधे स्टेशन जाकर हल्द्वानी तक की बस पकड़ ली,फिर हल्द्वानी से हरिद्वार पहुँचा। समय सुबह के 4 बजे थे, दिन जाड़ों के कड़कड़ाती ठंड के थे,गणेश घाट पर कपड़े खोले और शरीर मे मचलती गर्मी और क्रोध से उफनते समंदर को गंगा की पावन लहरों के हवाले कर दिया। जितनी बार मैं गंगा में चन्द्रमा के प्रतिबिम्ब को निहारता,उस असहाय अबोध बकरे की खून से लतपथ सूरत नज़र आकर मुझे बार-बार कचोटती और दुहाई देती।
हम अपने पेट की आग को ठंडा करने के लिए निरीह असहाय जीवो को हजम कर जाते हैं, हम चलते फिरते कब्रगाह हैं, श्मशान हैं। मानुष सभी यत्न कर सकता है, जहाँ खेती न हो सके, जहाँ अन्न होना सम्भव ही नहीं,वहाँ माँस भक्षण किया सम्भावित किया गया। पशु जो मेहनत करके कृषि इत्यादि नही कर सकते वे शिकार करते हैं, "जीवो जीवस्य भक्षणम" उनके लिए है, जो पशु केवल मांस खाकर पेट भरते हैं। किसी धर्म और मज़हब के लिए बेजुबान को हजम करना कहाँ की इंसानियत है? भगवान और खुदा के नाम पर बेजुबनो का कत्ल करना कैसी ख़ुदाई है? सबको जीने का हक़ है। सोचो! अगर बकरे की जगह तुमको अपना एक हाथ उस खुदा/भगवान की इबादत में देना पड़े तो दोगे? कभी नहीं, क्योंकि तुम बुज़दिल और स्वार्थी हो।  मैं मीठी ईद पर जितना सेंवई की खीर पसन्द करता हूँ, बकरीक पर उतनी ही घृणा होती है। जीवन दे नही सकते तो,मारने वाले तुम होते कौन हो?बलि का ज्यादा ही भूत सवार है तो सीधे साधे बकरे को क्यों चुनते हो,जंगल मे जाकर तेंदुए और शेर को हाथ लगाकर देखो, सारी भक्ति और इबादत तुम्हारे शरीर के पिछले दरवाजो से बाहर आ जाएगी।
मानवता सबको साथ लेकर चलने का नाम है, अपनी सुविधा, और स्वार्थ का भक्षण करो बेसहारा कमज़ोर प्राणियों का नहीं।

"बृजेश  यादव BrY"✒

गुरुवार, 23 अगस्त 2018

#हज

*हज में कटने वाले लाखों जानवर आते कहां से हैं और चले कहां जाते हैं?*

‘हज’ मुसलमानों की जिंदगी का एक ज़रूरी काम. इस्लाम के पांच सिद्धांतों में से एक. हज यात्रा हर मुसलमान को अपनी जिंदगी में एक बार करनी ज़रूरी है अगर वो ऐसा करने में समर्थ है तो. हज ‘काबा’ का तवाफ़ (परिक्रमा) करके होता है. जोकि सऊदी अरब के शहर मक्का में है. दुनियाभर के लाखों मुसलमान हर साल वहां पहुंचते हैं. ‘हज’ कम्पलीट करने में पांच दिन लगते हैं. जिस दौरान कई रस्में पूरी करनी होती हैं. इन्हीं में से एक होती है कुर्बानी की रस्म.
हर साल इंडिया से एक लाख मुसलमान हज करने मक्का जाते हैं.
हज तभी पूरा होता है. जब वहां मुसलमान पूरी इबादत करने के बाद किसी जानवर की कुर्बानी दे देते हैं. और ऐसा हर हाजी को करना होता है. जिन जानवरों की कुर्बानी की जाती है, उनमें बकरा, भेड़ और ऊंट शामिल होते हैं. जिस दिन ये कुर्बानी वहां होती है वो दिन ईद-उल-अज़हा यानी बकरीद होती है. साल 2016 में हाजियों की संख्या 15 लाख थी. यानी 15 लाख जानवर काटे गए.
सऊदी अरब के हज और उमरा मामलों के निदेशक अब्देलमजीद मोहम्मद अल-अफगानी ने मीडिया को बताया है कि इस साल 20 लाख हाजियों के यहां पहुंचने की उम्मीद है. अगर ऐसा होता है तो फिर 20 लाख जानवरों की कुर्बानी होगी.
20 लाख जानवर. बहुत बड़ा आंकड़ा होता है. अगर इतने जानवर कटेंगे तो उनका मीट कितना होगा? सवाल मन में आता है कि इतने जानवर कटने के बाद कहां चले जाते हैं. क्या होता है इतने मीट का? और जहां कटते हैं वहां तो खून ही खून नज़र आता होगा?
शरीयत के मुताबिक जिस जानवर की कुर्बानी की जाती है उसके तीन हिस्सों में दो हिस्से मीट गरीबों में बांटना होता है. और एक हिस्सा कुर्बानी करने वाला खुद खा सकते हैं. लेकिन जो हज करने गया है न वो एक हिस्सा मीट खुद खा सकता है और न ही वहां मौजूद गरीब लोग इतना ढेर सारा मीट एक साथ कटने पर खा सकते हैं.
ऐसे में जब तक कोई ख़ास व्यवस्था नही थी तो बहुत सारा मीट पड़ा रह जाता था. दशकों पहले इन जानवरों को जमीन में दफ़न कर दिया जाता था. क्योंकि ज्यादा वक़्त तक उसको गर्मी की वजह से रखा भी नहीं जा सकता था. हज के दौरान वहां तापमान करीब 40 से भी ऊपर होता है. लेकिन अब इस मीट को ठिकाने लगाने के इंतजाम कर लिए गए हैं. साथ ही वो तरीके भी जिससे वहां गंदगी न फैले. ख़ून ही खून न दिखाई दे. सऊदी अरब सरकार कुर्बानी के मीट को उन देशों में भेज देती है, जहां पर गरीब मुस्लिम रहते हैं. साल 2013 में सऊदी अरब ने जो मीट बाहर भेजा, उनमें सबसे ज्यादा हिस्सा सीरिया को भेजा गया. कुर्बानी के बाद 9 लाख 93 हज़ार जानवर साल 2012 में 24 देशों में भेजे गए थे. साल 2013 में 28 देशों में मीट भेजा गया. इन देशों में सोमालिया. इंडोनेशिया, सीरिया, जैसे देश शामिल होते हैं. ‘यूटिलाइजेशन ऑफ़ हज मीट’ प्रोजेक्ट सऊदी सरकार ने 36 साल पहले लॉन्च किया था. जिसके तहत इस मीट को बांटने का काम किया जाता है.
इस तरह होती है अब कुर्बानी
सऊदी अरब में अब कुर्बानी करवाने के लिए इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक है. जहां से मुसलमान कुर्बानी का कूपन लेकर कुर्बानी करा सकते हैं. या फिर वो खुद भी वहीं से जानवर खरीदकर कुर्बानी करा सकते हैं. मक्का के पास ही एक बूचड़खाना है जो पोस्ट ऑफिस के ज़रिए हज पर आने वाले मुसलमानों के लिए कुर्बानी का इंतजाम करता है. ये इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक से जुड़ा है. बस यहां मुसलमानों को अपने नाम से कुर्बानी के पैसे जमा कराने होते हैं. ये पैसे जानवर के हिसाब से जमा कराने होते हैं. जैसे ऊंट की कुर्बानी देनी है या फिर बकरे-भेड़ की. इनकी कीमत तय होती है. यहां पैसे देकर हाजियों को कुर्बानी के लिए परेशान होने की ज़रूरत नहीं. क्योंकि सऊदी सरकार खुद ही कुर्बानी का इंतजाम करा देती है. अलग अलग बने स्लॉटर हाउस में कुर्बानी करा दी जाती है. जब कुर्बानी हो जाती है तो एक टेक्स्ट मैसेज से उस हाजी को खबर दे दी जाती है कि आपके नाम की कुर्बानी हो गई है. इससे गंदगी भी नहीं होती और व्यवस्था भी बनी रहती है.
कहां से आते हैं इतने जानवर?
लाखों की तादाद में कटने वाले जानवर आखिर मक्का में आते कहां से होंगे, जो हर साल काट दिए जाते हैं. सऊदी अरब में ये जानवर इम्पोर्ट किए जाते हैं. सबसे ज्यादा बकरे ईस्ट अफ्रीका के सोमालीलैंड से आते हैं. इनकी तादाद करीब एक मिलियन होती है. शिप पर लादकर जानवर सऊदी अरब पहुंचाए जाते हैं. यहां ज्यादतर लोग पशुपालन में लगे हैं. सोमालीलैंड का अब सूडान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से कम्पटीशन है. हालांकि ये जानवर उरुग्वे, पाकिस्तान, तुर्की और सोमालिया से भी सऊदी अरब पहुंचते हैं.

हौसला हम भी रखते हैं

नदिया अपना बहाव नहीं बदलती
तूफान का क्या हैं आकर गुजर जाऐगा !!

हमारे किरदार में कमिया निकालने वाले
वक्त तुझे बताऐगा कि कमी किसके किरदार में हैं !!

जो तूफानों से गुजरना जानते हैं
आंधियों की वो परवाह नहीं करते
बदल कर रख देते हैं जो रुख बादलों का
वो बारिशों की परवाह नहीं करते !!

अभिमान है मुझे में एक बेटा हू, वह किसी का भाई हू।
अपने इरादों को बुलंद रखता हू!!
हा वही हिम्मत जज़्बा हम भी रखते हैं ।।

बहुत ही सुंदर कहानीय है।

एक गरीब परिवार में एक सुन्दर सी बेटी👰 ने जन्म लिया..
बाप दुखी हो गया बेटा पैदा होता तो कम से कम काम में तो हाथ बटाता,,
उसने बेटी को पाला जरूर,
मगर दिल से नही....
वो पढने जाती थी तो ना ही स्कूल की फीस टाइम से जमा करता,
और ना ही कापी किताबों पर ध्यान देता था...
अक्सर दारू पी कर घर में कोहराम मचाता था........
उस लडकी की मॉ बहुत अच्छी व बहुत भोली भाली थी वो अपनी बेटी को बडे लाड प्यार से रखती थी..
वो पति से छुपा-छुपा कर बेटी की फीस जमा करती
और कापी किताबों का खर्चा देती थी..
अपना पेट काटकर फटे पुराने कपडे पहन कर गुजारा कर लेती थी,
मगर बेटी का पूरा खयाल रखती थी...
पति अक्सर घर से कई कई दिनों के लिये गायब हो जाता था.
जितना कमाता था दारू मे ही फूक देता था...
वक्त का पहिया घूमता गया.
बेटी धीरे-धीरे समझदार हो गयी..
दसवीं क्लास में उसका एडमीसन होना था.
मॉ के पास इतने पैसै ना थे जो बेटी का स्कूल में दाखिला करा पाती..
बेटी डरडराते हुये पापा से बोली:
पापा मैं पढना चाहती हूं मेरा हाईस्कूल में एडमीसन करा दीजिए मम्मी के पास पैसै नही है...
बेटी की बात सुनते ही बाप आग वबूला हो गया और चिल्लाने लगा बोला: तू कितनी भी पड लिख जाये तुझे तो चौका चूल्हा ही सम्भालना है क्या करेगी तू ज्यादा पड लिख कर..
उस दिन उसने घर में आतंक मचाया व सबको मारा पीटा
बाप का व्यहार देखकर बेटी ने मन ही मन में सोच लिया कि अब वो आगे की पढाई नही करेगी....
एक दिन उसकी मॉ बाजार गयी
बेटी ने पूछा:मॉ कहॉ गयी थी
मॉ ने उसकी बात को अनसुना करते हुये कहा :
बेटी कल मै तेरा स्कूल में दाखिला कराउगी
बेटी ने कहा: नही़ं मॉ मै अब नही पडूगी मेरी वजह से तुम्हे कितनी परेशानी उठानी पडती है पापा भी तुमको मारते पीटते हैं कहते कहते रोने लगी..
मॉ ने उसे सीने से लगाते हुये कहा: बेटी मै बाजार से कुछ रुपये लेकर आयी हूं मै कराउगी तेरा दखिला..
बेटी ने मॉ की ओर देखते हुये पूछा: मॉ तुम इतने पैसै कहॉसे लायी हो??
मॉ ने उसकी बात को फिर अनसुना कर दिया...
वक्त वीतता गया..
"मॉ ने जी तोड मेहनत करके बेटी को पढाया लिखाया
बेटी ने भी मॉ की मेहनत को देखते हुये मन लगा कर दिन रात पढाई की
और आगे बडती चली गयी.......
इधर बाप दारू पी पी कर बीमार पड गया
डाक्टर के पास ले गये
डाक्टर ने कहा इनको टी.बी. है
एक दिन तबियत ज्यादा गम्भीर होने पर बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया..
दो दिन बाद उस जबे होश आया तो डाक्टरनी का चेहरा देखकर उसके होश उड गये
वो डाक्टरनी कोई और नही वल्कि उसकी
अपनी बेटी थी..
शर्म से पानी पानी बाप
कपडे से अपना चेहरा छुपाने लगा
और रोने लगा हाथ जोडकर बोला: बेटी मुझे माफ करना मैं तुझे समझ ना सका...
दोस्तों बेटी आखिर बेटी होती है
बाप को रोते देखकर बेटी ने बाप को गले लगा लिया..
एक दिन बेटी माँ से बोली: माँ तुमने मुझे आजतक नहीं बताया कि मेरे हाईस्कूल के एडमीसन के लिये पैसै कहाँ से लायी थी??
बेटी के बार बार पूछने पर
माँ ने जो बात बतायी
उसे सुनकर
बेटी की रूह काँप गयी....
माँ ने अपने शरीर का खून बेच कर बेटी का एडमीसन कराया था....
दोस्तों तभी तो मॉ को भगवान का दर्जा दिया गया है
माँ जितना औलाद के लिये त्याग कर सकती है
उतना दुनियाँ में कोई और नही......!!!
....Maa..... 
      (Brijesh Yadav BrY)

बहुत खूबसूरत कहानी आपकी आंखों से पानी आ जाएंगे।

जरूर पढ़े बहुत ही सुंदर स्टोरी है  और शेयर करें
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एक  नगर  में  एक  मशहूर  चित्रकार  रहता था ।
चित्रकार  ने  एक  बहुत  सुन्दर तस्वीर  बनाई
और उसे  नगर  के  चौराहे  मे  लगा  दिया
और   नीचे  लिख  दिया  कि  जिस किसी  को ,
जहाँ  भी   इस में  कमी  नजर  आये  वह  वहाँ  निशान  लगा  दे ।
जब  उसने  शाम  को  तस्वीर देखी   उसकी  पूरी  तस्वीर  पर  निशानों  से  ख़राब  हो  चुकी थी ।
यह  देख  वह  बहुत  दुखी हुआ ।
उसे कुछ  समझ  नहीं  आ  रहा  था  कि  अब  क्या  करे  वह  दुःखी  बैठा  हुआ  था  ।
तभी  उसका एक मित्र  वहाँ  से  गुजरा  उसने  उस  के  दुःखी होने  का  कारण  पूछा  तो  उसने  उसे  पूरी  घटना बताई ।
  उसने कहा  एक  काम  करो कल दूसरी  तस्वीर  बनाना  और  उस मे  लिखना  कि जिस  किसी  को  इस  तस्वीर  मे जहाँ  कहीं  भी कोई  कमी  नजर  आये  उसे  सही  कर  दे  ।
   उसने  अगले  दिन  यही  किया  ।  शाम  को  जब उसने  अपनी  तस्वीर  देखी  तो  उसने  देखा  की  तस्वीर  पर  किसी  ने  कुछ  नहीं  किया ।                                                                               वह  संसार  की रीति  समझ गया ।  

"कमी  निकालना ,  निंदा  करना ,   बुराई  करना आसान   लेकिन  उन  कमियों  को  दूर  करना  अत्यंत  कठिन  होता  ह                     This is life........

जब दुनिया यह कहती है कि
      ‘हार मान लो’
तो आशा धीरे से कान में कहती है  कि.,,,,
‘एक बार फिर प्रयास करो’
      और यह ठीक भी है..,,,
"जिंदगी आईसक्रीम की तरह है, टेस्ट करो तो भी पिघलती है;.,,,
वेस्ट करो तो भी पिघलती है,,,,,,
इसलिए जिंदगी को टेस्ट करना  सीखो,
    वेस्ट तो हो ही रही है.,,,,
   (बृजेश यादव BrY)

Thanks to God

दोस्तों ऊपर वाले का शुक्र है कि केरल में बाढ़ का स्तर कम हो रहा लेकिन वहाँ पुनः से सामान्य जीवन व्यतीत करने के लिए भी वहाँ की जनमानस को आर्थिक सहायता की आवश्कयता होगी , दोस्तों अगर प्रधानमंत्री जी केरल के सभी वोटरों को वादे का 15 लाख रुपये दे दे तो केरल की समस्या भी ख़त्म हो सकती है और महोदय का वादा भी कुछ ही सही लेकिन पूरा तो हो जायेगा ।
      देश का क्या वो तो वैसे भी अपना 15 लाख रुपये संतोष ही किया हुआ है ।
                   (बृजेश यादव "BrY")

बुधवार, 22 अगस्त 2018

Thanku so Much God

जिंदगी भले ही कम देना हे भगवान लेकिन!
जिन्दगी एसा देना की लोगो की दिलों मे मुद्दत तक याद रहे !!
           !!जय श्री कृष्णा !!